जब जिम्मेदारी बढ़ जाती है तो दायित्य भी बढ़ जाता है । कुछ ऐसा ही हम नेपाली मओवादिओं के वारे में कह सकते है क्योंकि आजकल कुछ ऐसा ही पटना में चल रहे कवायदों से मालूम परता है। यदि नेपाली माओवादियों का भारत सरकार के साथ अच्छा सम्बन्ध बनता है तो यह अपने यहाँ के माओवादियों के लिए एक सबक होगा की बंदूक छोर bailet पर विश्वास करें। ऐसी कोई सरकार नहीं होगी की उनके साथ अच्छा सलूक न करे। आज के दुनिया में आप बंदूक के बल पर कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। जिस माओ के सिधांत को माओवादी मानते हैं उस माओ के चीन में ख़ुद उस सिधांत का कोई पूछ नहीं। सायद चीन वासी जल्दी समझ गए की बेतुकी सिधांत से अच्छा है जीवन को आगे बढाने वाला नुस्खा अपनाया जाय। बुद्धि वाला मानव वही कहलाता है जो दुनिया के साथ कदम मिलकर चलता है। तो भारतीय माओवादियों आप की बुद्धि कब रस्ते पर आएगी।
Sunday, 27 April 2008
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